:امام صادق علیه السلام
لَستُ اُحِبُّ أن أرَى الشَّبابَ مِنكُم إلاّ غادِيا في حالَينِ: إمّا عالِما أو مُتَعَلِّما، فَإِن لَم يَفعَل فَرَّطَ، فَإِن فَرَّطَ ضَيَّعَ وإن ضَيَّعَ أثِمَ وإن أثِمَ سَكَنَ النّارَ. وَالَّذي بَعَثَ مُحَمَّدا صلىاللهعليهوآله بِالحَقِّ
الأمالي للطوسي : ص ۳۰۳ ح ۶۰۴
इमाम जाफ़र सादिक़ अ.स.
मैं तुम्हारे नौजवानों को सिवाय दो हालात के नहीं देखना चाहता: या तो वे विद्वान हों या छात्र।
यदि कोई युवा ऐसा न करे, तो उसने भूल की है; और यदि उसने भूल की तो वह बर्बाद हो गया; और यदि उसने खुद को बर्बाद किया तो उसने गुनाह किया; और अगर गुनाह करेगा तो— मैं उसी की कसम खाता हूँ जिसने मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व आलेही व सल्लम) को हक़ के साथ भेजा — वह जहन्नम में रहेगा।
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